SIP Kya hai in hindi
सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान या SIP, में अपनी छोटी-छोटी रकम को निवेश कर सकती हैं SIP एक ऐसा प्लान होता है जिसमें आप हर महीने एक रकम डालते हैं। यह रकम ₹500 भी हो सकती है या उससे ज्यादा भी। इस प्लान में यह रकम कैसे इन्वेस्ट करनी है, जैसे हर महीने ,या तीन महीने में ,या एक साल में ,एक बार जमा करना चाहते हैं। यह फैसला आपको करना होगा। लेकिन यह याद रखना होगा कि यह रकम एक निश्चित तारीख पर आपको जमा करनी है

SIP के जरिए आप अपने छोटे-छोटे अमाउंट को जमा करके भविष्य में एक बड़ा अमाउंट और वेल्थ क्रिएट कर सकते हैं
Example –
एक बहुत ही साधारण उदाहरण से मैं आपको समझाने की कोशिश करता हूं जैसे आपको याद होगा की सहारा इंडिया की एक बचत स्कीम चलती थी जिसमें आपके घर पास का जानने वाला कोई एजेंट आपके पास आता था और आपसे हर महीने या पर दे आपसे एक रकम ले जाता था और उसे सहारा इंडिया में आपके खाते में जमा कर देता था और एक समय के बाद जैसे की 5 साल या 10 साल के बाद आपको रकम बढ़ाकर मिलती थी
इस तरीके से SIP में आप अपनी इच्छा अनुसार एक रकम सेट कर सकते हैं जिसे आप हर महीने इन्वेस्ट कर सकते हैं अब क्योंकि ऑनलाइन का जमाना है तो यह पैसा एजेंट आकर के नहीं लेता है अब यह पैसा आप अपने किसी भी थर्ड पार्टी ऐप में डीमैट अकाउंट बना करके जब चालू कर लेते हैं और अपना अकाउंट उसे ऐप से जोड़ देते हैं तो वह अप आपके अकाउंट से हर महीने आपकी निर्धारित की गई रकम कट करके उसे कंपनी में लगा देता है जिसमें अपने शिप का सेलेक्शन किया है
Technical Terms
कुछ टेक्निकल टर्म्स जो आपको जानकारी में होने चाहिए जैसे की NAV (नेट एसेट वैल्यू) ? NAV (नेट एसेट वैल्यू)क्या होता है ?
एग्जाम्पल आपने एक हज़ार रुपए म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट किए और उसकी एक यूनिट की नेट एसेट वैल्यू या NAV ₹20 है ,तो आपको 1000 रुपए में उस म्यूचुअल फंड की 50 यूनिट मिलेगी। अब जैसे जैसे इस यूनिट की NAV बढ़ेगी, वैसे ही आपका रिटर्न भी बढ़ेगा
कैसे और कितना बढ़ेगा?
अब जरा इसका गणित भी समझ लीजिए। अगर NAV ₹35 हो जाती है तो आपकी 1000 वाली रकम हो जाएगी ₹1,750। ऐसे में जैसे जैसे NAV बढ़ती जाएगी, आपका इनवेस्ट किया हुआ पैसा भी बढ़ता चला जाएगा। यानी बाजार में आने वाले उतार चढ़ाव का असर NAV पर पड़ेगा।
ऐसे ही अगर मार्केट गिरता है तो आपको घबराना नहीं है। आमतौर पर यह माना जाता है कि SIP आपको 12 से 15 फीसद का रिटर्न देती है। तो ऐसे ही अगर हर साल यह बढ़ता ही जाएगा और उस पर रिटर्न भी बढ़ता चला जाएगा, जिसे चक्रवृद्धि ब्याज या पावर ऑफ कंपाउंडिंग भी कहा जाता है।
Example –
मान लीजिए आपने एक हज़ार रुपए प्रति महीना इन्वेस्ट किया और इस पर आपको 15% रिटर्न मिल रही है तो आपको मिलेंगे एक साल पर ₹12,000 के निवेश पर 13 हज़ार ₹21। दो साल के बाद ₹24,000 बन जाएंगे 28 हज़ार ₹135। और अगर आपने अपनी रकम तीन साल बाद निकाली तो मिलेंगे 45 हज़ार ₹679। हालांकि मार्केट के उछाल और गिरावट से आपके रिटर्न पर भी असर पड़ेगा। यानी मार्केट गिरा तो नुकसान और चढ़ा तो मुनाफा
एसआईपी का ऑप्शन इसलिए भी दिया जाता है क्योंकि जैसे आप अपने बिजली का बल देते हैं राशन का बल देते हैं गैस का बल देते हैं उसी तरीके से SIP का भी एक निश्चित अमाउंट देते हैं जो भविष्य में आपको एक बड़ी पूंजी के रूप में मिलता है
लेकिन SIP केवल उन्हीं लोगों के लिए है जो इसमें लॉन्ग टर्म यानी लंबे समय तक बने रह सकते हैं यानी 10 साल 15 साल 20 साल इससे पहले भी आप जब चाहे अपना पैसा निकाल सकते हैं लेकिन उससे आपको कम लाभ होगा या ना के बराबर होगा लंबे समय तक इन्वेस्ट करने से आपके पैसे में मिलने वाला ब्याज चक्रवृद्धि ब्याज भी जुड़ जाता है और वह आपको कई गुना लाभ देता है
एसआईपी के फायदे
एसआईपी के ज़रिए आप न सिर्फ बचत करते हैं, बल्कि कम्पाउंडिंग का फायदा भी उठा सकते हैं। इसके अन्य फायदे इस प्रकार हैं:
- लंबे समय में अधिक रिटर्न: जितना लंबा निवेश का समय होगा, उतना ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ती है।
- फ्लेक्सिबल निवेश: आप अपनी सुविधा अनुसार एसआईपी को शुरू, रोक, या फिर से शुरू कर सकते हैं।
- टैक्स में छूट: कुछ एसआईपी प्लान्स से टैक्स बेनिफिट्स भी मिल सकते हैं।
- ऑटोमेटिक पेमेंट: इसमें पेमेंट को ऑटोमेट किया जा सकता है, जिससे हर महीने पैसे अपने-आप इन्वेस्ट हो जाते हैं।
- लक्ष्य-आधारित निवेश: एसआईपी से आप अपने फाइनेंशियल गोल्स जैसे कि घर खरीदना या रिटायरमेंट के लिए सेविंग कर सकते हैं।
एसआईपी के लिए आवश्यक दस्तावेज़
एसआईपी शुरू करने के लिए ये दस्तावेज़ होने चाहिए:
- पैन कार्ड
- आधार कार्ड
- बैंक अकाउंट डिटेल्स
- सैलरी स्लिप या फॉर्म 16
- टैक्स के लिए फॉर्म 80C या 80D की कॉपी
एसआईपी में निवेश क्यों करें?
एसआईपी का सबसे बड़ा फायदा है कि यह आपको नियमित निवेश की आदत डालता है। हर महीने छोटे-छोटे निवेश से धीरे-धीरे एक बड़ी राशि इकट्ठा हो जाती है। इस तरह आप अपने बड़े फाइनेंशियल गोल्स जैसे घर खरीदना, रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स आदि को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
एसआईपी में निवेश कैसे शुरू करें?
एसआईपी शुरू करने के लिए सबसे पहले अपने फाइनेंशियल गोल को तय करें। इसके बाद नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करें:
- दस्तावेज़ तैयार रखें
- केवाईसी (KYC) पूरा करें
- एसआईपी के लिए रजिस्ट्रेशन करें
- सही योजना का चुनाव करें
- इन्वेस्टमेंट की राशि और तारीख तय करें
एसआईपी के प्रकार (वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार)
एसआईपी में निवेश के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे:
- मासिक एसआईपी: हर महीने इन्वेस्ट करने का ऑप्शन।
- तिमाही एसआईपी: हर तीन महीने पर इन्वेस्टमेंट।
- वार्षिक एसआईपी: साल में एक बार इन्वेस्टमेंट।
एसआईपी के प्रकार समझें और सही विकल्प चुनें
एसआईपी के कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
- रेगुलर एसआईपी: फिक्स्ड अमाउंट का नियमित अंतराल पर निवेश।
- फ्लेक्सिबल एसआईपी: आपकी माली हालत या मार्केट कंडीशन के हिसाब से रकम बदल सकते हैं।
- टॉप-अप एसआईपी: अपनी नियमित एसआईपी के साथ अतिरिक्त रकम जोड़ सकते हैं।
- स्टेप-अप एसआईपी: समय-समय पर अपने एसआईपी अमाउंट को बढ़ा सकते हैं।
- ट्रिगर एसआईपी: एक विशेष परिस्थिति होने पर ही इन्वेस्टमेंट होता है, जैसे मार्केट में बढ़ोतरी।
- परपेचुअल एसआईपी: बिना किसी तय अवधि के लगातार चलता रहता है।
- मल्टी एसआईपी: एक ही एसआईपी से विभिन्न म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।
रेगुलर प्लान में निवेश कैसे करें?
रेगुलर प्लान में निवेश के लिए ये चरण अपनाएं:
- म्यूचुअल फंड का चयन: अपने फाइनेंशियल गोल के हिसाब से म्यूचुअल फंड चुनें।
- ब्रोकर का चयन: जो आपके इन्वेस्टमेंट को मैनेज कर सके।
- रजिस्ट्रेशन करें: अपनी आईडी और बैंक डिटेल्स प्रदान करें।
- इन्वेस्टमेंट अमाउंट सेट करें: फिर अपनी फाइनेंशियल जर्नी शुरू करें।